Saturday, March 13, 2010

बरेली का सच


सेवा में,
सम्पादक
अमर उजाला
बरेली।
महोदय,
जनप्रिय समाचार पत्र के माध्यम् से मैं अपनी बात जन-जन तक पहुॅंचाना चाहता हूॅं कि हमारे बरेली शहर के हालात सुधरने के नहीं हो रहे है बल्कि इस अमन चैन की नगरी को जाने क्या हो गया जो यह हालात हुए मुझे यह महसूस होता है कि जो हमारे नेतागण है वह अपनी-अपनी रोटियां सेक रहें है उनको इस बात से कोई भी मतलब नहीं है कि हमारे प्यारें से शहर और शहर में अमन चैन से रह रहे वाशिंदो का क्या हाल होगा उन्हे तो अपने टारगेट से मतलब है, जो हो रहा है। इन हालातो में हमारा भी कुछ उत्तरदायित्व है कि अमन चैन के वातावरण को लाने का प्रयास करे क्योकि हमारी सरकार को तो जो करना था वह कर दिया उन्हे तो अपने -अपने बोट बैंक की चिन्ता है उन्हे क्या मालूम कि एक मजदूर के घर में खाना कैसे बनता है उन्हे तो चुपड़ी मिल रही है वह क्या जाने कि सड़क पर एक निर्दोष को कर्फयू के नाम पर उस को विभिन्न धाराओं के चक्रव्यूह में उलझा दिया जाता है और जो वास्तव में दोषी हो उनको संरक्षण प्रदान कर दोष मुक्त कर दिया जाता है मात्र इस वजह से कि कहीं बोट बैंेक को कोई और न हथिया ले,कभी हमारे रहनुमाओ ने यह नहीं सोचा कि अति का भी अन्त हुआ है आज नही ंतो कल क्या होगा फिर शायद जो चुपड़ी की अपेक्षा रख रहे है उनको सूखी भी न मिले वैसे भी एक दूसरे की रोटी झपटने की प्रक्रिया चल ही रही है जो भारी पड़ जाये वही झपट लेगा क्योंकि कुत्तो का काम झपटना ही है और जो उस परमपिता परमात्मा(ईश्वर एक है इस धर्म का विभाजन तो पूर्वकाल के रोटी सेकने वालो ने ही करा है) पर विश्वास करते है उन्हें रोटी सेंकनी नहीं पड़ती उन्हें सिकी सिकाई मिल जाती है और न रोटी के लिए झपटना पड़ता है।हम आप भी शहर के जिम्मेदार नागरिक है और अपने बुजुर्गो से सीखा है कि क्षमा बड़न को चाहिए छोटन को उत्पात को ध्यान में रखते हुए इस अमन चैन की धरती को बदनाम न होने दे।
धर्म-जाति वर्गभेद मिटा लो वतन को सजा लो,
अपना बना लो,गले से लगा लो,
जहाॅं सभी अपने ही रहते है,उसी ही को तो परिवार कहते है,
जहाॅं सारे परिवार मिल जुलकर रहते है उसी को तो वतन कहते है,
फिर काहे की है लड़ाई आपस में ऐसी जंग छिड़वाई,
यदि अब भी समझ न पाये और जंग पर जंग छिड़वाये
तो तन मन घायल करोगें तन ही न रह पायेगा तो परिवार कैसे चल पायेगा,
परिवार को बना लो वतन को चला लो,
वतन को आगे बढ़ा लो गले से लगा लो अपना बना लो गले से लगा लो।
आपका अपना पाठक
अतुल गौड़
़ित्रवेणी भवन कम्पाउन्ड मौहल्ला कानून गोयान
निकट थाना प्रेमनगर बरेली।
मो09410498937
atulgaur23@gmail.com

1 comment:

Anonymous said...

Veryfine.