Wednesday, April 30, 2008

कहाँ?कब !कैसे मिलेगी ?

इंतजार की भी भाई कोई हद होती है. कितना और क्यो ?बेबजाह इंतजार,रोज सुबह ही शुरु होती है इंतजार से !अखबार बाले का इंतजार फिर दूध बाले का इंतजार फिर बच्चो के टेंपो वाले का और तो और आजकल तो नित्य क्रिया के लिए भी इंतजार करना पड़ता है की वर्षा की मम्मी कब बाहर आए और मै प्रस्थान करू!आप यह मत सोचियेगा की हमारे लेखक महोदय कही विदेश यात्रा को जा रहे है,क्या आपको कही छोड़कर कही जा सकते है और हमारा गुजारा भी कही नही है,अपने ही झेल पाते है और अपनों के पास ही ठिकाना है अपनों का !अन्यथा दर -दर भटकेगे कोई दो रोटी को भी नही पूछेगा और पूछ लिया और कही रोज चले आए क्योकि आपको तो भूख है ,इंतजार है रोटी का कहाँ?कब !कैसे मिलेगी ?

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